लगभग ५०० साल पहले सिखो के प्रथम गुरु श्री नानकदेव का जनम कार्तिक सुदी पूर्णिमा सम्वत १५२६ ,२० अक्टूबर सन् १४६९ को ननकाना साहब ,तलवंडी गांव जिला शेखुपुरा में कालू मेहता और तृप्ता देवी के घर हुआ था ,कालू मेहता जी पटवारी थे ,जब पंडित को बुला कर इनका नाम रखने को कहा तो वो इन्हें देख कर अचरज में पड़ गया क्योकि दाई ने कहा की बालक ने हस्ते हुए जनम लिया है ,पंडित ने कहा वो १३ दिन बाद आ कर नाम रखेगा और चला गया
१३ दिन बाद पंडित ने आ कर बालक को देखा और कहा की ये बालक या तो कोई सम्राट या महा पुरुष बनेगा और कुंडली के अनुसार नाम नानक रख दिया ,ये नाम हिंदू और मुसलमानों का मिला जुला नाम है ,और कहा की सब इसका कहा मानकर चलेंगे ,ये बालक सब का उद्धार करेगा
१३ दिन बाद पंडित ने आ कर बालक को देखा और कहा की ये बालक या तो कोई सम्राट या महा पुरुष बनेगा और कुंडली के अनुसार नाम नानक रख दिया ,ये नाम हिंदू और मुसलमानों का मिला जुला नाम है ,और कहा की सब इसका कहा मानकर चलेंगे ,ये बालक सब का उद्धार करेगा
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