पाठशाला
सब से अनोखा बालपन था गुर नानक देव जी का ,जब वो ५ वर्ष के हुए तो अपनी उमर के बच्चो के साथ खेल ने लगे ,वो अपने घर से सब चीजे लाकर बच्चों में बाँट देते ,उनकी ये आदत उनके पिता को पसंद नहीं थी और वो उन्हें इस बात से बहुत डांटते परन्तु लोग उनकी बहुत सराहना करते और प्यार करते थे ,और इसी तरह की अनोखी शरारतो के साथ नानक बड़े होने लगे ,वो अन्य बालको से बिलकुल भिन्न थे ,उन्हें लड़ना बिलकुल पसंद नहीं था ,वह एकदम शांत प्रकृति के बालक थे |