Tuesday, May 15, 2012

सच्चा सौदा ......पहला लंगर

ये एक सच्ची कहानी है ...सिखों के पहले गुरु  श्री गुरु नानक देव जी जिनका जन्म  मेहता कालू के घर हुआ था ,मेहता कालू जी एक व्यापारी थे और हर पिता की तरह अपने बेटे से भी व्यापार की ही उम्मीद रखते थे ,जब गुरु नानक साहिब जी 18 साल के हुए तो उनके पिता जी ने मरदाना को उनके  साथ भेजा व्यापार के लिए और 20 रुपये दिए और कहा की फायदे का सौदा करना ,और अगर तुमने अच्छा और फायदे  का सौदा किया तो अगली बार मै  और ज्यादा रुपये दूंगा 
      अब गुरु नानक जी और मरदाना दोनों तलवंडी गांव से निकल  पड़े ,अभी वो 10 या 12 मील की दूरी पर  ही गए होंगे की उन्हें एक ऐसा गांव नज़र आया जिसमे बीमारी फैली हुई थी और वहां के लोग भूखे प्यासे और बीमार थे ,ये सब देख कर गुरु नानक जी ने मरदाना से कहा ,...पिताजी ने हमे फायदे  का सौदा करने को कहा था और किसी भूखे प्यासे को खाना खिलाना और उन्हें कपडे देना ,इससे बड़ा फायदे का सौदा और क्या होगा ,ये कह कर वो मरदाना के साथ गए और उन सब के लिए खाना कपडे ले आये ,जिन्हें उन सब पीडितो में बाँट दिया और अपनी सोच से 20 रुपये उन्होंने फायदे के सौदे में लगा दिए थे ये उनका सच्चा सौदा था  .......आज लंगर भी इसी को कहते हैं .....

6 comments:

  1. ਵਾਹੇਗੁਰੁ ਮੇਹਰ ਕਰੇ !

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    1. ਧੰਵਾਦ ਤੁਹਾਡਾ .....ਪਦਾਂ ਦਾ ਤੇ ਬਲੋਗ ਤੇ ਆਣ ਦਾ

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  2. आजकल लोग पैसा देखते हैं ,काश ये वक्त फिर आ जाये ...अच्छी जानकारी ,धन्यवाद

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  3. Aapka yeh Blog Bahut achha hai....sabhi post achhi lagi

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