Friday, May 18, 2012

मक्का और गुरु नानक देव जी

श्री गुरु नानक देव जी मक्का जा रहे थे और उनके साथ कुछ कटर मुसलमान भी थे ।जब वो मक्का पहुंचे पवित्र काबा को देखने तो सूरज अस्त हो रहा था और सब बहुत थक चुके थे ,गुरु नानक देव जी तो वहीँ पैर लेट गए और सो गए ,उनके साथ जो यात्री आये थे वो ये देखकर बहुत हैरान हो गए ,वो तो उनको एक बहुत ही बड़ा साधू  समझ रहे थे ,लेकिन उनकी हरकत देख कर उन सब को गुस्सा आ गया क्योकि वो काबा की तरफ पैर कर के सोये हुए थे ,सब किसी अनहोनी से डर गए और उसी समय काजी साहब भी आ गए और गुरु जी को देख कर उन्होंने पूछा ये आदमी कौन है क्या ये नास्तिक है या खुदा के कहर से नहीं डरता है ।
            बहुत सा शोर सुन कर गुरु जी की आँख खुल गयी और उन्होंने हैरानी से पूछा क्या हुआ है ,तब सब ने एक ही स्वर में उत्तेर दिया की तुम काबा की तरफ पैर करके सो रहे हो जो की ठीक नहीं है ,ये सुन कर गुरु जी जोर से हस पड़े और कहा तुम मेरे पैर किसी भी ऐसी जगह की तरफ कर दो जहाँ खुदा या भगवान् नहीं है ,वो लोग जिधर भी गुरु जी के पैर करते काबा उधर ही नज़र आ जाता ,सब थक गए और समझ भी गए उनकी बात खुदा या भगवान् तो हर जगह है ,कण कण में है ,जो काजी इतना गुस्सा हो रहा था गुरु जी की बात समझ गया ।
              भगवान् तो हर जगह है बस एक बार तुम उसे पा लो फिर वो तुम्हे हर जगह हर वास्तु में नज़र आएगा
   सतनाम श्री वाहेगुरु जी 

2 comments:

  1. वाह कितनी सुंदर बात ...भगवन किस जगह नहीं हैं सच में ....

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